Wednesday 3 December 2014

छोड़ कर मेरा दामन

Friday 8 August 2014

हर बात का मतलब शायद होता होगा


खुदा भी हमारी कारिस्तानी पे रोता होगा


मोहब्बत का मतलब क्या पूछते हो हमसे


तेरे दिल मेँ भी कुछ ना कुछ होता होगा



जिक्र तेरा किसी महफिल मेँ होता होगा


समां जलती होगी तो धुँआ होता होगा


दुनिया जो जानना चाहती है तेरे बारे मेँ


मेरा भी थोड़ा जिक्र तो जरुर होता होगा
जागा करते रहे जिनको याद कर पूरी रात वो सोते रहे थक कर पूरी रात
दिनभर सहा हमने बेरोजगारी रात का हीँ रह गया बस हमारा रोजगार
मुबारक हो तुम्हेँ दोस्तोँ की महफिल दर्द ए दिल
हम तो दुश्मनोँ के बीच भी याद किये जाते हैँ
तुम बाँटते हो दर्द अपना जाने किस किस से
हम समां बन मुस्कुराते हुये जलते जाते हैँ
अलसाई सी अँगड़ाई लेती सुबह
बादलोँ की ओट मेँ छिपता सूरज
चाय का गर्म प्याला आ गया हाथोँ मेँ
तुम भी बैठ गये लेकर प्याला हाथोँ मेँ
चाय के प्याले की गरमाहट हाथोँ मेँ
पूजा की थाली हमारी माँ की हाथोँ मेँ
समाचार पढते बाबूजी पेपर हाथोँ मेँ
स्कूल का भारी बस्ता बच्चोँ के हाथोँ मेँ
चलो घर की खुशियाँ लेके आएं हाथोँ मेँ